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श्री रामावतार-स्तुति / Shri Ramavatar Stuti

श्री रामावतार - स्तुति *****   भए प्रकट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी। हरषित महतारी मुनि - मन - हारी अद्भुत रूप निहारी ।।   लोचन अभिरामा तनु घनश्यामा निज आयुध भुजचारी। भूषन बनमाला नयन बिशाला सोभा सिंधु खरारी ।।   कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरी केहि बिधि करौं अनन्ता। माया गुन ज्ञानातीत अमाना वेद पुरान भनन्ता ।।   करुना सुख - सागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति सन्ता। सो मम हित लागी जन अनुरागी प्रगट भयउ श्रीकन्ता ।।   ब्रह्माण्ड निकाया निरमित माया रोम - रोम प्रति वेद कहै। सो मम उर बासी यह उपहासी सुनत धीर मति थिर न रहै।।   उपजा जब ज्ञाना प्रभु मुसुकाना चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै। कहि कथा सुहाई मातु बुझाई जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै।।   माता पुनि बोली सो मति डोली तजहु तात यह रूपा। कीजै सिसु लीला अति प्रियसीला यह सुख परम अनूपा ।।     सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होइ बालक सुर भूपा। यह चरित जे गावहिं हरिपद पावहिं ते न परहिं भवकूपा ...

श्री हनुमत्स्तोत्रम् / Shri Hanumatstotram

 श्री हनुमत्स्तोत्रम् ***** श्री गणपतये नमः ।  नमो हनुमते तुभ्यं नमो मारुतसूनवे ।  नमः श्रीरामभक्ताय श्यामास्याय च ते नमः ।।१।।  नमो वानरवीराय सुग्रीवसख्यकारिणे।  लंकाविदाहनार्थाय हेलासागरतारिणे ।।  सीताशोकविनाशाय राममुद्राधराय च।  रावणान्तकुलच्छेद-कारिणे ते नमो नमः ।।२।।  मेघनादमखध्वंस-कारिणे ते नमो नमः ।।३।।  अशोकवनविध्वंस-कारिणे भयहारिणे ।।४।।   वायुपुत्राय-वीराय  आकाशोदरगामिने । वनपालशिरश्छेद-लंका-प्रासाद भञ्जिने ।। ५ ।।  ज्वलत्कनकवर्णाय दीर्घलांगूल-धारिणे ।  सौमित्रिजयदात्रे च रामदूताय ते नमः ।।६।।  अक्षस्य वधक र्त्रे   च ब्रह्मपाशनिवारिणे।  लक्ष्मणांग-महाशक्ति-घातक्षत-विनाशिने।।७।।  रक्षोघ्नाय रिपुघ्नाय भूतघ्नाय च ते नमः ।  ऋक्षवानरवीरौघ-प्राणदाय नमो नमः ।।८।।  परसैन्यबलघ्नाय शस्त्रास्त्रघ्नाय ते नमः।  विषघ्नाय  द्विषघ्नाय ज्वरघ्नाय च ते नमः । । ९ ।।   महाभयरिपुघ्नाय भक्तत्राणैककारिणे।  परप्रेरितमन्त्राणां  यन्त्राणां  स्तम्भकारिणे ।।१०।।  पयः...

श्रीराम वन्दना - श्री रामजी की स्तुति / Shri Ram Vandana / Shri Ram Stuti

 श्रीराम वन्दना ***** आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम् ।  लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ।। रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे।  रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः ।। नीलाम्बुजश्यामलकोमलाङ्ग सीतासमारोपितवामभागम् । पाणौ महासायकचारुचापं नमामि रामं रघुवंशनाथम् ।। ***** श्री रामजी की स्तुति ***** श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं ।  नवकंज-लोचन, कंज-मुख, कर-कंज पद कंजारुणं ।। कंदर्प अगणित अमित छबि, नवनील-नीरद सुंदरं ।  पट पीत मानहु तड़ित रुचि शुचि नौमि जनक सुतावरं ।।  भजु दीनबंधु दिनेश दानव-दैत्यवंश-निकंदनं ।  रघुनंद आनँदकंद कोशलचंद दशरथ-नंदनं ।।  सिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदारु अंग बिभूषणं ।  आजानुभुज शर-चाप-धर, संग्राम-जित खरदूषणं ।।  इति वदति तुलसीदास, शंकर-शेष-मुनि-मन-रंजनं ।  मम हृदय-कंज निवास कुरु, कामादि खलदल-गंजनं ।।  मनु जाहिं राचेउ मिलिह सो बरु सहज सुंदर साँवरो ।  करुना निधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो ।। एहि भाँति गौरि असीस सुनि सिय सहित हिय हरषीं अली ।  तुलसी भवानिहि पूजि पुनि-पुनि मुदित मन मंद...

श्रीहनुमत्-स्तवन / Shri Hanumat-Stavan / श्री हनुमत् स्तवन

  श्रीहनुमत्-स्तवन ***** सो०- प्रनवउँ पवनकुमार खल बन पावक ग्यानघन ।  जासु हृदय आगार बसहिं राम सर चाप धर।। अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं, दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् । सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं, रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि ।। गोष्पदीकृतवारीशं मशकीकृतराक्षसम् ।  रामायणमहामालारत्नं वन्देऽनिलात्मजम् ।। अञ्जनानन्दनं वीरं जानकीशोकनाशनम् ।  कपीशमक्षहन्तारं वन्दे लंकाभयंकरम् ।। उल्लङ्घय सिन्धोः सलिलं सलीलं ।  यः शोकवहिंन जनकात्मजायाः ।। आदाय तेनैव ददाह लङ्कां नमामि तं प्राञ्जलिराञ्जनेयम् ।। मनोजवं मास्ततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् । वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ।।  आञ्जनेयमतिपाटलाननं काञ्चनाद्रिकमनीयविग्रहम् । पारिजाततरुमूलवासिनं भावयामि पवमाननन्दनम् ।। यत्र यत्र रघुनाथकीर्तनं तत्र तत्र कृतमस्तकाञ्जलिम् ।  वाष्पवारिपरिपूर्णलोचनं मारुतिं नमत राक्षसान्तकम् ।। *****

श्रीहनुमानजी की आरती / Hanuman Ji ki Aarti

  श्रीहनुमानजी की आरती *****   आरती कीजै हनुमान लला की । दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ।।   जाके बल से गिरिवर काँपै । रोग - दोष जाकै निकट न झाँपे ।।   अंजनि पुत्र महा बल दाई । संतन के प्रभु सदा सहाई ॥   दे बीरा रघुनाथ पठाये । लंका जारि सिया सुधि लाये ॥   लंका - सो कोट समुद्र - सी खाई । जात पवन सुत बार न लाई ॥   लंका जारि असुर संहारे । सियारामजी के काज सँवारे ॥   लक्ष्मण मूर्छित परे सकारे । आनि संजीवन प्रान उबारे ॥     पैठि पताल तोरि जम - कारे । अहिरावण की भुजा उखारे ॥   बायें भुजा असुर दल मारे । दहिने भुजा संत जन तारे ॥   सुर नर मुनि आरती उतारें । जै - जै - जै हनुमान उचारे ॥   कंचन थार कपूर लौ छाई । आरति करत अंजना माई ॥   जो हनुमान की आरती गावै । बसि बैकुंठ परमपद पावै ॥   लंका विध्वंस किये रघुराई । तुलसीदास स्वामी कीरति गाईं ॥   आरती कीजै हनुमान लला की । दुष्ट दलन रघुनाथ कला की   ॥ ...

बजरंग बाण / Bajarang Baan

  बजरंग बाण   ***** निश्चय प्रेम प्रतीति ते , विनय करैं सनमान । तेहिके कारज सकल शुभ , सिद्ध करैं हनुमान ।।  ***** जय हनुमन्त सन्त हितकारी , सुन लीजै प्रभु अरज हमारी । जन के काज विलम्ब न कीजे , आतुर दौरि महा सुख दीजै ।।   जैसे कूदि सिन्धु महि पारा , सुरसा बदन पैठि बिस्तारा । आगे जाइ लंकिनी रोका , मारेहु लात गई सुर लोका ।।   जाय विभीषण को सुख दीन्हा , सीता निरखि परमपद लीन्हा  । बाग उजारि सिन्धु महँ बोरा , अति आतुर यमकातर तोरा ।।   अक्षय कुमार को मारि सँहारा , लूम लपेटि लंक को जारा  । लाह समान लंक जरि गई , जय जय धुनि सुर पुर महँ भई ।।   अब विलम्ब केहि कारन स्वामी , कृपा करहु उर अन्तर्यामी   । जय जय लखन प्राण के दाता , आतुर होइ दुख करहु निपाता ।।   जय गिरिधर जय - जय सुखसागर , सुर - समूह समरथ भटनागर   । ॐ हनु - हनु - हनु हनुमंत हठीले , बैरिहिं मारु वज्र की कीले ।।   गदा वज्र लै बैरिहिं मारो , महाराज प्रभु दास उबा...