श्री रामावतार-स्तुति / Shri Ramavatar Stuti
श्री रामावतार-स्तुति
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भए प्रकट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी मुनि-मन-हारी अद्भुत रूप निहारी ।।
लोचन अभिरामा तनु घनश्यामा निज आयुध भुजचारी।
भूषन बनमाला नयन बिशाला सोभा सिंधु खरारी ।।
कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरी केहि बिधि करौं अनन्ता।
माया गुन ज्ञानातीत अमाना वेद पुरान भनन्ता ।।
करुना सुख-सागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति सन्ता।
सो मम हित लागी जन अनुरागी प्रगट भयउ श्रीकन्ता ।।
ब्रह्माण्ड निकाया निरमित माया रोम-रोम प्रति वेद कहै।
सो मम उर बासी यह उपहासी सुनत धीर मति थिर न रहै।।
उपजा जब ज्ञाना प्रभु मुसुकाना चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै।
कहि कथा सुहाई मातु बुझाई जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै।।
माता पुनि बोली सो मति डोली तजहु तात यह रूपा।
कीजै सिसु लीला अति प्रियसीला यह सुख परम अनूपा ।।
सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होइ बालक सुर भूपा।
यह चरित जे गावहिं हरिपद पावहिं ते न परहिं भवकूपा ।।
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।। इति श्रीरामावतार-स्तुति सम्पूर्णम् ।।
।। इति श्रीरामावतार-स्तुति सम्पूर्णम् ।।
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