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आरती श्री हरसू सुरवर की / Shri Harsu Survar ki Aarti

।।  आरती श्री हरसू सुरवर की ।। शिव स्वरूप दुर्धर्ष तेजमय,  जिसने देह शिलामय धारी। नृपमणि पीठ शालिवाहन के,  विकृत विस्तृत अजिर बिहारी। देकर जीवन जो जीवन दे,  चरण रेणु में उस भूसुर की। आरती श्री हरसू सुरवर की।। भुजबल दर्पित नरपति मर्दित,  मानवता का मान बढ़ाकर। तममय शासन की बेदी पर,  अपना ही बलिदान चढ़ाकर। बदल दिया तमको प्रकाश में,  आभा यह उस ज्योति अमर की। आरती श्री हरसू सुरवर की।। तेरा धाम धाम में बिखरा,  रोग शोक सन्ताप हरण वन। वन बैठे हो इस मन्दिर में,  अशरण के तुम आज शरण बन। जो जीवन को सरस बनाये,  आशा बस उस जीवन धर की। आरती श्री हरसू सुरवर की।। भाल त्रिपुण्ड सुशोभित जिसके,  कर में माला चमक रही है। पद पादुका वसन पिताम्बर,  ब्रह्म मण्डली दमक रही है। चैनपुर की इस धरती पर,  लीला यह उस भास्वर वर की। आरती श्री हरसू सुरवर की।। भूत पिशाच विघ्न भय हर्ता,  जन पालक दुर्जन संहर्ता। अनुपम तेज तुम्हारा जग में,  देवरूप बन विचरण करता। नीराजन के दीप जलाकर,  करूँ अर्चना ज्योति प्रखर की। आरती श्री हरसू सुरवर की।। *****

श्री हरसू ब्रह्‌म चालीसा / Shri Harsu Brahm Chalisa

श्री हरसू ब्रह्‌म चालीसा ***** बाबा हरसू ब्रह्‌म के चरणों का करि ध्यान। चालीसा प्रस्तुत करूं पावन यश गुण गान॥  ***** हरसू ब्रह्‌म रूप अवतारी।  जेहि पूजत नित नर अरु नारी॥१॥ शिव अनवद्य अनामय रूपा।  जन मंगल हित शिला स्वरूपा॥ २॥ विश्व कष्ट तम नाशक जोई।  ब्रह्‌म धाम मंह राजत सोई ॥३॥ निर्गुण निराकार जग व्यापी।  प्रकट भये बन ब्रह्‌म प्रतापी॥४॥ अनुभव गम्य प्रकाश स्वरूपा।  सोइ शिव प्रकट ब्रह्‌म के रूपा॥५॥ जगत प्राण जग जीवन दाता।  हरसू ब्रह्‌म हुए  विख्याता ॥६॥ पालन हरण सृजन कर जोई।  ब्रह्‌म रूप धरि प्रकटेउ सोई॥७॥ मन बच अगम अगोचर स्वामी।  हरसू ब्रह्‌म सोई अन्तर्यामी॥८॥ भव जन्मा त्यागा सब भव रस।  शित निर्लेप अमान एक रस॥९॥ चैनपुर सुखधाम मनोहर।  जहां विराजत ब्रह्‌म निरन्तर॥१०॥ ब्रह्‌म तेज वर्धित तव क्षण-क्षण।  प्रमुदित होत निरन्तर जन मन॥११॥ द्विज द्रोही नृप को तुम नासा।  आज मिटावत जन मन त्रासा॥१२॥ दे संतान सृजन तुम करते।  कष्ट मिटाकर जन भय हरते॥१३॥ सब भक्तन के पालक तुम हो।  दनुज वृत्ति कुल घालक तुम हो॥१४॥  कुष्ट रोग...