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श्री हनुमत्स्तोत्रम् / Shri Hanumatstotram

 श्री हनुमत्स्तोत्रम् ***** श्री गणपतये नमः ।  नमो हनुमते तुभ्यं नमो मारुतसूनवे ।  नमः श्रीरामभक्ताय श्यामास्याय च ते नमः ।।१।।  नमो वानरवीराय सुग्रीवसख्यकारिणे।  लंकाविदाहनार्थाय हेलासागरतारिणे ।।  सीताशोकविनाशाय राममुद्राधराय च।  रावणान्तकुलच्छेद-कारिणे ते नमो नमः ।।२।।  मेघनादमखध्वंस-कारिणे ते नमो नमः ।।३।।  अशोकवनविध्वंस-कारिणे भयहारिणे ।।४।।   वायुपुत्राय-वीराय  आकाशोदरगामिने । वनपालशिरश्छेद-लंका-प्रासाद भञ्जिने ।। ५ ।।  ज्वलत्कनकवर्णाय दीर्घलांगूल-धारिणे ।  सौमित्रिजयदात्रे च रामदूताय ते नमः ।।६।।  अक्षस्य वधक र्त्रे   च ब्रह्मपाशनिवारिणे।  लक्ष्मणांग-महाशक्ति-घातक्षत-विनाशिने।।७।।  रक्षोघ्नाय रिपुघ्नाय भूतघ्नाय च ते नमः ।  ऋक्षवानरवीरौघ-प्राणदाय नमो नमः ।।८।।  परसैन्यबलघ्नाय शस्त्रास्त्रघ्नाय ते नमः।  विषघ्नाय  द्विषघ्नाय ज्वरघ्नाय च ते नमः । । ९ ।।   महाभयरिपुघ्नाय भक्तत्राणैककारिणे।  परप्रेरितमन्त्राणां  यन्त्राणां  स्तम्भकारिणे ।।१०।।  पयः...

श्रीराम वन्दना - श्री रामजी की स्तुति / Shri Ram Vandana / Shri Ram Stuti

 श्रीराम वन्दना ***** आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम् ।  लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ।। रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे।  रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः ।। नीलाम्बुजश्यामलकोमलाङ्ग सीतासमारोपितवामभागम् । पाणौ महासायकचारुचापं नमामि रामं रघुवंशनाथम् ।। ***** श्री रामजी की स्तुति ***** श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं ।  नवकंज-लोचन, कंज-मुख, कर-कंज पद कंजारुणं ।। कंदर्प अगणित अमित छबि, नवनील-नीरद सुंदरं ।  पट पीत मानहु तड़ित रुचि शुचि नौमि जनक सुतावरं ।।  भजु दीनबंधु दिनेश दानव-दैत्यवंश-निकंदनं ।  रघुनंद आनँदकंद कोशलचंद दशरथ-नंदनं ।।  सिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदारु अंग बिभूषणं ।  आजानुभुज शर-चाप-धर, संग्राम-जित खरदूषणं ।।  इति वदति तुलसीदास, शंकर-शेष-मुनि-मन-रंजनं ।  मम हृदय-कंज निवास कुरु, कामादि खलदल-गंजनं ।।  मनु जाहिं राचेउ मिलिह सो बरु सहज सुंदर साँवरो ।  करुना निधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो ।। एहि भाँति गौरि असीस सुनि सिय सहित हिय हरषीं अली ।  तुलसी भवानिहि पूजि पुनि-पुनि मुदित मन मंद...

श्रीहनुमत्-स्तवन / Shri Hanumat-Stavan / श्री हनुमत् स्तवन

  श्रीहनुमत्-स्तवन ***** सो०- प्रनवउँ पवनकुमार खल बन पावक ग्यानघन ।  जासु हृदय आगार बसहिं राम सर चाप धर।। अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं, दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् । सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं, रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि ।। गोष्पदीकृतवारीशं मशकीकृतराक्षसम् ।  रामायणमहामालारत्नं वन्देऽनिलात्मजम् ।। अञ्जनानन्दनं वीरं जानकीशोकनाशनम् ।  कपीशमक्षहन्तारं वन्दे लंकाभयंकरम् ।। उल्लङ्घय सिन्धोः सलिलं सलीलं ।  यः शोकवहिंन जनकात्मजायाः ।। आदाय तेनैव ददाह लङ्कां नमामि तं प्राञ्जलिराञ्जनेयम् ।। मनोजवं मास्ततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् । वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ।।  आञ्जनेयमतिपाटलाननं काञ्चनाद्रिकमनीयविग्रहम् । पारिजाततरुमूलवासिनं भावयामि पवमाननन्दनम् ।। यत्र यत्र रघुनाथकीर्तनं तत्र तत्र कृतमस्तकाञ्जलिम् ।  वाष्पवारिपरिपूर्णलोचनं मारुतिं नमत राक्षसान्तकम् ।। *****

श्रीहनुमानजी की आरती / Hanuman Ji ki Aarti

  श्रीहनुमानजी की आरती *****   आरती कीजै हनुमान लला की । दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ।।   जाके बल से गिरिवर काँपै । रोग - दोष जाकै निकट न झाँपे ।।   अंजनि पुत्र महा बल दाई । संतन के प्रभु सदा सहाई ॥   दे बीरा रघुनाथ पठाये । लंका जारि सिया सुधि लाये ॥   लंका - सो कोट समुद्र - सी खाई । जात पवन सुत बार न लाई ॥   लंका जारि असुर संहारे । सियारामजी के काज सँवारे ॥   लक्ष्मण मूर्छित परे सकारे । आनि संजीवन प्रान उबारे ॥     पैठि पताल तोरि जम - कारे । अहिरावण की भुजा उखारे ॥   बायें भुजा असुर दल मारे । दहिने भुजा संत जन तारे ॥   सुर नर मुनि आरती उतारें । जै - जै - जै हनुमान उचारे ॥   कंचन थार कपूर लौ छाई । आरति करत अंजना माई ॥   जो हनुमान की आरती गावै । बसि बैकुंठ परमपद पावै ॥   लंका विध्वंस किये रघुराई । तुलसीदास स्वामी कीरति गाईं ॥   आरती कीजै हनुमान लला की । दुष्ट दलन रघुनाथ कला की   ॥ ...

बजरंग बाण / Bajarang Baan

  बजरंग बाण   ***** निश्चय प्रेम प्रतीति ते , विनय करैं सनमान । तेहिके कारज सकल शुभ , सिद्ध करैं हनुमान ।।  ***** जय हनुमन्त सन्त हितकारी , सुन लीजै प्रभु अरज हमारी । जन के काज विलम्ब न कीजे , आतुर दौरि महा सुख दीजै ।।   जैसे कूदि सिन्धु महि पारा , सुरसा बदन पैठि बिस्तारा । आगे जाइ लंकिनी रोका , मारेहु लात गई सुर लोका ।।   जाय विभीषण को सुख दीन्हा , सीता निरखि परमपद लीन्हा  । बाग उजारि सिन्धु महँ बोरा , अति आतुर यमकातर तोरा ।।   अक्षय कुमार को मारि सँहारा , लूम लपेटि लंक को जारा  । लाह समान लंक जरि गई , जय जय धुनि सुर पुर महँ भई ।।   अब विलम्ब केहि कारन स्वामी , कृपा करहु उर अन्तर्यामी   । जय जय लखन प्राण के दाता , आतुर होइ दुख करहु निपाता ।।   जय गिरिधर जय - जय सुखसागर , सुर - समूह समरथ भटनागर   । ॐ हनु - हनु - हनु हनुमंत हठीले , बैरिहिं मारु वज्र की कीले ।।   गदा वज्र लै बैरिहिं मारो , महाराज प्रभु दास उबा...