श्रीलक्ष्मीजी की आरती / Lakshmi ji ki Aarti
श्रीलक्ष्मीजीकी आरती
*****
ॐ जय लक्ष्मी माता, (मैया) जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसिदिन सेवत हर-विष्णू-धाता ॥ ॐ ॥
तुमको निसिदिन सेवत हर-विष्णू-धाता ॥ ॐ ॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता ।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥ ॐ ॥
दुर्गारूप निरञ्जनि, सुख-सम्पति-दाता ।
जो कोइ तुमको ध्यावत, ऋधि-सिधि-धन पाता ॥ ॐ ॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनि, भवनिधिकी त्राता ॥ ॐ ॥
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनि, भवनिधिकी त्राता ॥ ॐ ॥
जिस घर तुम रहती, तहँ सब सद्गुण आता ।
सब सम्भव हो जाता, मन नहिं घबराता ॥ ॐ ॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न हो पाता।
खान-पानका वैभव सब तुमसे आता ॥ ॐ ॥
खान-पानका वैभव सब तुमसे आता ॥ ॐ ॥
शुभ-गुण-मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहिं पाता ॥ ॐ ॥
रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहिं पाता ॥ ॐ ॥
महालक्ष्मी (जी) की आरति, जो कोई नर गाता ।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता ॥ ॐ ॥
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता ॥ ॐ ॥
*****
Lakshmi ji ki Aarti
*****
Om Jay Lakshmi Mata, Maiya Jay Lakshmi Mata ।
Tumko Nisidin Sevat Har-Vishnu-Dhata ।।
Uma, Rama, Brahmani, Tum hee Jag-Mata ।
Surya-Chandrama Dhyawat, Narad Rishi Gata ।।
Durgaroop Niranjani, Sukh-Sampati-Data ।
Jo Koi Tumko Dhyawat Riddhi-Siddhi-Dhan Pata ।।
Tum Paatal-Nivasini, Tum hee Shubhdata ।
Karm-Prabhav-Prakashini, Bhavnidhiki Trata ।।
Jis Ghar Tum Rehti, Teh Sab Sadgun Aata ।
Sab Sambhav Ho Jata, Man Nahi Ghabrata ।।
Tum Bin Yaghya Na Hote, Vastra Na Ho Pata ।
Khan-Paan ka Vaibhav Sab Tumse Aata ।।
Shubh-Gun-Mandir Sundar, Ksheerodadhi-Jata ।
Ratna Chaturdash Tum Bin Koi Nahi Pata ।।
MahaLakshmi Ji ki Aarti, Jo Koi Nar Gaata ।
Ur-Anand Samata, Paap Utar Jaata ।।
Om Jay Lakshmi Mata, Maiya Jay Lakshmi Mata ।।
*****
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें