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श्री कनकधारा स्तोत्रम् / Shri Kanakdhara Stotram

 ।। श्री कनकधारा स्तोत्रम् ।। ***** अंगहरे पुलकभूषण माश्रयन्ती भृगांगनैव मुकुलाभरणं तमालम। अंगीकृताखिल विभूतिरपांगलीला मांगल्यदास्तु मम मंगलदेवताया:।।1।। ***** मुग्ध्या मुहुर्विदधती वदनै मुरारै: प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि। माला दृशोर्मधुकर विमहोत्पले या सा मै श्रियं दिशतु सागर सम्भवाया:।।2।। *****  विश्वामरेन्द्रपदविभ्रमदानदक्षमानन्द हेतु रधिकं मधुविद्विषोपि। ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्द्धमिन्दोवरोदर सहोदरमिन्दिराय:।।3।। *****  आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्दमानन्दकन्दम निमेषमनंगतन्त्रम्। आकेकर स्थित कनी निकपक्ष्म नेत्रं भूत्यै भवेन्मम भुजंगरायांगनाया:।।4।। *****  बाह्यन्तरे मधुजित: श्रितकौस्तुभै या हारावलीव हरि‍नीलमयी विभाति। कामप्रदा भगवतो पि कटाक्षमाला कल्याण भावहतु मे कमलालयाया:।।5।। *****  कालाम्बुदालिललितोरसि कैटभारेर्धाराधरे स्फुरति या तडिदंगनेव्। मातु: समस्त जगतां महनीय मूर्तिभद्राणि मे दिशतु भार्गवनन्दनाया:।।6।। *****  प्राप्तं पदं प्रथमत: किल यत्प्रभावान्मांगल्य भाजि: मधुमायनि मन्मथेन। मध्यापतेत दिह मन्थर मीक्षणार्द्ध मन्दालसं च मकरालयकन्यकाय...

आरती श्री हरसू सुरवर की / Shri Harsu Survar ki Aarti

।।  आरती श्री हरसू सुरवर की ।। शिव स्वरूप दुर्धर्ष तेजमय,  जिसने देह शिलामय धारी। नृपमणि पीठ शालिवाहन के,  विकृत विस्तृत अजिर बिहारी। देकर जीवन जो जीवन दे,  चरण रेणु में उस भूसुर की। आरती श्री हरसू सुरवर की।। भुजबल दर्पित नरपति मर्दित,  मानवता का मान बढ़ाकर। तममय शासन की बेदी पर,  अपना ही बलिदान चढ़ाकर। बदल दिया तमको प्रकाश में,  आभा यह उस ज्योति अमर की। आरती श्री हरसू सुरवर की।। तेरा धाम धाम में बिखरा,  रोग शोक सन्ताप हरण वन। वन बैठे हो इस मन्दिर में,  अशरण के तुम आज शरण बन। जो जीवन को सरस बनाये,  आशा बस उस जीवन धर की। आरती श्री हरसू सुरवर की।। भाल त्रिपुण्ड सुशोभित जिसके,  कर में माला चमक रही है। पद पादुका वसन पिताम्बर,  ब्रह्म मण्डली दमक रही है। चैनपुर की इस धरती पर,  लीला यह उस भास्वर वर की। आरती श्री हरसू सुरवर की।। भूत पिशाच विघ्न भय हर्ता,  जन पालक दुर्जन संहर्ता। अनुपम तेज तुम्हारा जग में,  देवरूप बन विचरण करता। नीराजन के दीप जलाकर,  करूँ अर्चना ज्योति प्रखर की। आरती श्री हरसू सुरवर की।। *****

श्री हरसू ब्रह्‌म चालीसा / Shri Harsu Brahm Chalisa

श्री हरसू ब्रह्‌म चालीसा ***** बाबा हरसू ब्रह्‌म के चरणों का करि ध्यान। चालीसा प्रस्तुत करूं पावन यश गुण गान॥  ***** हरसू ब्रह्‌म रूप अवतारी।  जेहि पूजत नित नर अरु नारी॥१॥ शिव अनवद्य अनामय रूपा।  जन मंगल हित शिला स्वरूपा॥ २॥ विश्व कष्ट तम नाशक जोई।  ब्रह्‌म धाम मंह राजत सोई ॥३॥ निर्गुण निराकार जग व्यापी।  प्रकट भये बन ब्रह्‌म प्रतापी॥४॥ अनुभव गम्य प्रकाश स्वरूपा।  सोइ शिव प्रकट ब्रह्‌म के रूपा॥५॥ जगत प्राण जग जीवन दाता।  हरसू ब्रह्‌म हुए  विख्याता ॥६॥ पालन हरण सृजन कर जोई।  ब्रह्‌म रूप धरि प्रकटेउ सोई॥७॥ मन बच अगम अगोचर स्वामी।  हरसू ब्रह्‌म सोई अन्तर्यामी॥८॥ भव जन्मा त्यागा सब भव रस।  शित निर्लेप अमान एक रस॥९॥ चैनपुर सुखधाम मनोहर।  जहां विराजत ब्रह्‌म निरन्तर॥१०॥ ब्रह्‌म तेज वर्धित तव क्षण-क्षण।  प्रमुदित होत निरन्तर जन मन॥११॥ द्विज द्रोही नृप को तुम नासा।  आज मिटावत जन मन त्रासा॥१२॥ दे संतान सृजन तुम करते।  कष्ट मिटाकर जन भय हरते॥१३॥ सब भक्तन के पालक तुम हो।  दनुज वृत्ति कुल घालक तुम हो॥१४॥  कुष्ट रोग...

श्रीसङ्कष्टनाशनगणेशस्तोत्रम् / Shree Sankashtanaasan Ganesh Stotram

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  श्रीसङ्कष्टनाशनगणेशस्तोत्रम् प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम् ।  भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायुष्कामार्थसिद्धये ।। १ ।। प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम् ।  तृतीयं कृष्णपिङ्गाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम् ॥ २ ॥ लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च ।  सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्ण म  तथाष्टमम् ॥ ३ ॥ नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम् ।  एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम् ॥ ४ ॥ द्वादशैतानि नामानि त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः ।  न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं परम् ॥ ५ ॥ विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।  पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥ ६ ॥ जपेद् गणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासैः फलं लभेत् ।  संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशयः ॥ ७ ॥ अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा यः समर्पयेत् ।  तस्य विद्या भवेत् सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ॥ ८ ॥  ।। श्रीनारदपुराणे सङ्कष्टनाशनं नाम गणेशस्तोत्रं  सम्पूर्णम्  ॥ ***** Shree Sankashtanaasan Ganesh Stotram *****   Pranamya Shirasa Devam Gouriputram Vinayakam . Bhaktavasam...

गणेश जी की आरती । Ganesh Aarti

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  गणेश जी की आरती जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।  माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।। एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,  माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी।  पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,  लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।।  जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।। अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,  बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।  'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।।   जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा । माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।। दीनन की लाज रखो, शंभु सुतवारी।  कामना को पूर्ण करो जग बलिहारी। जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।। ***** Ganesh Ji ki Aarti ***** Jay Ganesh, Jay Ganesh, Jay Ganesh Deva  ।  Mata Jaki Parvati, Pita Mahadeva  ।। Ekdant Dayavant, Chaar Bhujadhari,  Mathe Sindoor Sohe, Moos ki Savari  । Paan Chadhe, Phool Chadhe aur chadhe Meva, Ladduan ka Bhog Lage, Sant Kare Seva  ।।  Jay Ganesh, Jay Ganesh, Jay Ganesh Deva  ।...